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राज्यसभा चुनाव : बसपा के 5 विधायक अखिलेश यादव से मिलने सपा कार्यालय पहुँचे

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव अब और दिलचस्प होता नजर आ रहा है। बीजेपी को अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव में धूल चटाने की तैयारी पूरी कर दी हैं। भले ही मायाबती और भाजपा में अंदर ही अंदर समर्थन हो लेकिन अखिलेश यादव की राजनितिक समझ ने बसपा और भाजपा को धूल चटा दी हैं।

बीजेपी ने 9 सीटों में से आठ पर प्रत्याशी खड़ा करने के बाद चर्चा हो रही थी कि बीएसपी का प्रत्याशी 9वीं सीट जीत सकता है। पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी रामजी गौतम की जीत का गणित ठीक होने का दावा किया था लेकिन अब समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है। बसपा प्रत्याशी के दस प्रस्तावकों में से पांच ने अपना नाम वापस ले लिया है। कहा जा रहा है कि पांचों विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी है। इसके अलावा दो और विधायकों को लेकर चर्चा है कि वे मायावती के खिलाफ जा सकते हैं।

बसपा ने रामजी गौतम को अपना राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। कहा जा रहा था कि बीजेपी मायावती की पार्टी को अंदर ही अंदर सपॉर्ट कर रही है और इसलिए अपना 9वां प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। रामजी गौतम की जीत पक्की मानी जा रही थी। इधर सपा ने प्रकाश बजाज को निर्दलीय प्रत्याशी बनाया।

इन विधायकों ने की बगावत

बसपा के दस विधायक मंगलवार को रामजी गौतम के प्रस्तावक बने। बुधवार सुबह पांच विधायक असलम चौधरी, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकम लाल बिंद, हरि गोविंद जाटव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे।

अखिलेश यादव से सपा कार्यालय पर हो रही बात

बताया जा रहा है कि विधायकों और अखिलेश यादव के बीच काफी देर तक सपा कार्यालय के एक बंद कमरे में वार्ता चली। मुलाकात करके बाहर आए विधायक सीधा विधानसभा पहुंचे और यहां प्रस्तावक से अपना प्रस्ताव वापस ले लिया।

क्या है राज्यसभा चुनाव का गणित?

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में अभी 395 (कुल सदस्य संख्या-403) MLA हैं
जबकि 8 सीटें खाली हैं। बीजेपी के पास
फिलहाल 306 विधायक हैं। वहीं, सपा के पास 48,
बसपा के पास 18, कांग्रेस के 7,
अपना दल के पास 9 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी
के चार विधायक हैं। जबकि 4 निर्दलीय और
एक निषाद पार्टी से विधायक हैं।

मौजूदा गणित के अनुसार, बीजेपी अपनी आठ सीटों पर आसानी
से जीत दर्ज कर सकती है जबकि समाजवादी पार्टी के पास भी जीतने का मौका है।
लेकिन बसपा के प्रत्याशी और निर्दलीय उम्मीदवार के बीच मुकाबला हो सकता है
और अब बसपा प्रत्याशी के प्रस्तावकों ने जो झटका दिया है, उससे मुश्किल अधिक बढ़ गई है।

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