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समाजवादी पड़ताल : राम मंदिर नहीं बनने देता से जुड़ा अखिलेश यादव का ट्वीट है फर्जी

‘राम मंदिर कभी नहीं बनने देता’ समाजवादी पड़ताल

समाजवादी पड़ताल:- Akhilesh Yadav’s Tweet On Ram Mandir Samajwadi Pdtal:सोशल मीडिया पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को बदनाम करने की साजिस लगातार उनके विरोधी करते रहते हैं आज कल सोशल मिडिया पर अखिलेश यादव के नाम से एक बयान वायरल हो रहा है। बयान में कहा गया है कि अगर (उत्तर प्रदेश) में हमारी सरकार होती तो मैं राम मंदिर (Ram Mandir) कभी नहीं बनने देता। ट्विट काफी भड़काऊ है इसके साथ सोशल मीडिया पर इससे तहलका मच गया है पर क्या वाकई ये बयान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिया है या नहीं?

नोट : समाजवादी पड़ताल में उन खबरों की पड़ताल की जाती हैं जिनमें अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से जुड़ी खबरों को गलत तरीके से या गलत खबर को सोशल मिडिया पर कुछ शरारती तत्वों द्वारा वायरल किया जाता हैं।

आइए समाजवादी पड़ताल (Samajwadi Padtal) में इसकी सच्चाई जानते हैं-

देश में कोरोना माहमारी के बीच सारे काम-धंधे ठप्प होने के साथ साथ कोरोना संक्रमित केस लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच पूर्व यूपी सीएम अखिलेश यादव के नाम ये ट्वीट सनसनी मचाए हुए हैं। राम मंदिर निर्माण को लेकर सपा नेता की इस कथित टिप्पणी की सच्चाई हम फैक्ट चेकिंग में आपके सामने लाएंगे।

वायरल पोस्ट क्या है ?

फेसबुक यूजर “प्रशान्त मणि त्रिपाठी’ ने अखिलेश यादव के नाम से किए गए कथित ट्वीट के स्क्रीन शॉट को शेयर किया है। इसमें लिखा हुआ है, ”हमारी सरकार होती तो मैं नेता जी के नक्शे कदम पर चलता, चाहे जितनी जाने जाती लेकिन राम मंदिर कभी नहीं बनने देता।”

क्या दावा किया जा रहा है?

जांच किए जाने तक इस पोस्ट को करीब एक हजार से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। कई अन्य यूजर्स ने इसे वास्तविक ट्वीट मानकर समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। लोगों का दावा है कि अखिलेश यादव यूपी में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में नहीं हैं।

समाजवादी पड़ताल

वायरल पोस्ट में अखिलेश यादव के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से किए गए कथित ट्वीट की तस्वीर लगी है, जिसमें 3 नवंबर 2019 की तारीख का जिक्र है।

ट्वीट की वास्तविकता और इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने ट्विटर एडवांस सर्च का सहारा लिया। InVID
टूल की मदद से जब हमने ट्वीट सर्च किया तो हमें पता चला कि
अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से 3 नवंबर 2019 को कोई ट्वीट
ही नहीं किया गया। 2 नवंबर को उनके वेरिफाइड हैंडल से दो ट्वीट
किए गए और इसके बाद उन्होंने 4 नवंबर 2019 को अगला ट्वीट किया।

इसके बाद हमने WayBack Machine की मदद से
अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से 3 नवंबर को किया गया एक भी ट्वीट नजर नहीं आया।
आर्काइव ट्वीट में भी दो नवंबर के बाद 4 नवंबर 2019 को ट्वीट किए जाने की पुष्टि होती है।
यानी अखिलेश यादव के नाम से राम मंदिर को लेकर जिस ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है,
वह फर्जी है और उसे गलत मंशा के साथ दुष्प्रचार के लिए एडिट कर तैयार किया गया है।

इसके बाद हमने न्यूज सर्च किए। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने अगर
ऐसा कोई बयान दिया होता तो निश्वित तौर पर वह खबर होती। हालांकि,
सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें ऐसे किसी बयान का जिक्र हो।
हमें तीन मई 2019 को प्रकाशित एक खबर मिली, जिसमें अखिलेश यादव ने एक चुनावी
सभा को संबोधित करते हुए कहा था, ‘राम मंदिर पर उनकी पार्टी और बीजेपी का
एजेंडा एक ही है और वह भी संविधान के दायरे में शांतिपूर्ण तरीके से राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं।’

समाजवादी पड़ताल का निष्कर्ष

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नाम से वायरल हो रहा ट्वीट फर्जी और मनगढ़ंत है, जिसे दुष्प्रचार की मंशा के तहत एडिट कर तैयार किया गया है। अखिलेश यादव की प्रोफाइल से न तो ऐसा कोई ट्वीट किया गया है और न ही उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया है। हमारी पड़ताल में यह दावा गलत निकला। अखिलेश यादव के ट्विटर हैंडल से न तो ऐसा कोई ट्वीट किया गया है और न ही ऐसा कोई बयान दिया गया है। वायरल हो रहा ट्विटर पोस्ट वास्तव में एडिट कर बनाई गई फर्जी तस्वीर है।

समाजवादी फोटो फ्रेम डाउनलोड करे

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