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मोदी सरकार एक बार फिर RBI से पैसा लेने की तैयारी में, पहले भी ले चुकी है 1.76 लाख करोड़ रूपया

देश कोरोनावायरस के संकट से गुजर रहा है। इसी बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि मोदी सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से पैसा लेने की फिराक में है। इससे पहले भी मोदी सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से 1.76 लाख करोड़ रूपया ले चुकी है।

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार

दरहसल एक अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, सरकार के राजस्व पर कोरोना वायरस की महामारी का काफी असर पड़ा है। सरकार का बजट बढ़कर जीडीपी के 7 फीसदी तक पहुंच गया है। एक अनुमान के मुताबिक, यह दो दशक में सबसे ज्यादा है। नयी दिल्ली स्थित पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के प्रोफेसर (आरबीआई चेयर) सब्यसाची कार के हवाले से अखबार ने लिखा है कि घाटा कम करने के उपाय करना सही कदम होगा। अगर सरकार खर्च करेगी, तभी अर्थव्यवस्था में मांग पैदा होगी।

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भारत में आरबीआई प्राथमिक बाजारों में सरकार से सीधे बॉन्ड नहीं खरीद सकता। राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम में इस बात का प्रावधान है, लेकिन इस कानून में खास स्थितियों में ऐसा करने की इजाजत है। राष्ट्रीय आपदा या बहुत ज्यादा आर्थिक सुस्ती के माहौल में ऐसा किया जा सकता है। हालांकि, आरबीआई ने अब तक द्वितीयक बाजार में बॉन्ड की कुछ खरीदारी की है, लेकिन उसने अब तक यह नहीं बताया है कि वह इस वित्त वर्ष में सरकार के लिए 12 लाख करोड़ रुपये की रकम उधार से जुटाने की योजना को किस तरह अमल में लाएगा।

बता दें कि आरबीआई केंद्र सरकार के लिए बाजार से कर्ज जुटाने का काम करता है।
अभी बैंक सरकारी बॉन्ड में इस उम्मीद में निवेश कर रहे हैं कि केंद्रीय बैंक बाद में इन बॉन्ड
को खरीद लेगा। अभी बैंकों के पास काफी नकदी है। उधर, लोन की मांग काफी कम है। इस
वजह से उन्होंने अपना पैसा सरकारी बॉन्ड में निवेश किया है। 19 जून को सरकारी बॉन्ड में बैंकों
का निवेशक 41.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। यह मार्च के अंत के मुकाबले 13 फीसदी ज्यादा है।

पहले भी RBI और मोदी सरकार में हुई थी तकरार

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता और सरकार की ओर से आरबीआई के रिजर्व फंड से 3.6 लाख करोड़ रुपये की मांग किए जाने की वजह से वर्ष 2018 के अक्टूबर-नवंबर महीने में जोरदार जंग छिड़ी हुई थी। इसी का नतीजा रहा कि 10 दिसंबर 2018 को आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल को अपने पद इस्तीफा दे देना पड़ा था। उनके इस्तीफे के बाद सरकार ने शक्तिकांत दास को रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया।

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