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यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू, मतदाता सूची पुनर्निरीक्षण का काम 15 सितंबर से
लखनऊ: देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश ( यूपी ) में ग्राम प्रधान समेत सभी पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, लेकिन अब तक चुनावी प्रक्रिया के संबंध में कोरोना की बजह से कोई गाइड लाइन जारी नहीं हो सकी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना के चलते सूबे में होने पंचायत चुनाव को कुछ महीने के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। दरअसल उत्तर प्रदेश की 59,163 ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल आगामी 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
इसी क्रम में अगले साल 13 जनवरी को जिला पंचायत अध्यक्ष और 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है. ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में पंचायत का चुनाव करवा पाना प्रशासन के लिए काफी मुश्किल है, क्योंकि पंचायत के चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को कम से कम छह माह का समय चाहिए. इसके अलावा सारी तैयारियों के पूरे होने के बाद भी पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए चुनाव आयोग को कम से कम 40 दिन का समय चाहिए।
जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी, प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव एक साथ
माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस बार जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी, प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव एक साथ कराएगी। आयोग से जिलों को जो तैयारी कराने के निर्देश दिलवाए गए हैं, वह चारों पदों पर एक साथ चुनाव कराए जाने के क्रम में हैं। इससे साफ जाहिर है कि यूपी में जब भी चुनाव होंगे सभी पदों पर एक साथ होंगे।
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सूबे की पंचायतों का परिसीमन भी है।
इसके अलावा जिन ग्राम पंचायतों का पिछले 5 वर्षों में शहरी निकायों में विलय हुआ है
उनको हटाकर अब ऐसी पंचायतों के नए सिरे से वार्ड भी तय होने हैं।
वोटर लिस्ट का विस्तृत पुनर्निरीक्षण का काम 15 सितंबर से शुरू हो रहा,
जिसमें दो से तीन महीने का समय लग सकता है। इसी तरह से अगले
साल ही चुनाव की संभावना बनती नजर आ रही है। ऐसे में यूपी सरकार
ग्राम प्रधानों का कार्यकाल खत्म कर ग्राम प्रधान और वार्ड सदस्यों को
मिलाकर प्रशासनिक समिति का गठन कर सकती है। इस दौरान मौजदा
ग्राम प्रधानों को ही प्रशासक बनाकर उनसे ही गांव में विकास कार्य करवाए जा सकते हैं।
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