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सरकार ने देश से क्यों छुपाया कि हमारे बहादुर सैनिक चीन के कब्जे में हैं
15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में हुई घटना पर सेना और विदेश मंत्रालय, दोनों ने ही सामूहिक
रूप से देश को ग़ुमराह किया है यह साफ़ दिख रहा है। भारत -चीन सीमा पर हुई धटना पर भारत सरकार
ने बहुत कुछ छुपाया हैं। इसमें सरकार का पूरा साथ भारतीय सेना दे रहीं हैं जो चिंता का विषय हैं।
क्या हमारी सेना भारत की मोदी सरकार के इशारे पर अपने बयानों से पलट रही हैं।
यह सब येसे ही हवा में नहीं कहा जा रहा हैं।
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पहले खबर आती हैं कि हमारे तीन जवान शहीद हो गये हैं जिसमे दो सैनिक और एक सेना के अधिकारी हैं |
फिर साम होते होते खबर आती हैं कि हमारे 20 बहादुर सैनिक शहीद हुये हैं फिर दूसरे दिन बताया जाता हैं कि
हमारी भारतीय सेना के 76 बहादुर सैनिक घायल हैं और हमारे देश का कोई भी सैनिक ‘लापता’ नहीं है।
फिर अचानक भारतीय सेना के 10 बहादुर सैनिकों की रिहाई की खबर आती हैं जिन्हें चीन ने बंदी
बनाया था | जिससे पूरा देश आश्चर्य में पड़ जाता हैं क्योकिं भारतीय सेना और विदेश
मंत्रालय ने एक दिन पहले ही दावा किया था कि 20 सैनिक शहीद और क़रीब 76 जाँबाज
सैनिक ज़ख्मी होने के बावजूद हमारा कोई सैनिक‘लापता’ नहीं है। फिर जिन सैनिको
की चीन ने रिहाई की क्या उन्हें बंदी नहीं बनाया गया था भारत सरकार और सेना अपने ही
बयानों में हेरा फेरी करती नजर आ रही हैं।
बन्दी बनाये गये बहादुर सैनिक की रिहाई पर सरकार फैला रही..
अब फैलाया जा रहा है कि बन्दी बनाये गये सैनिकों की सुरक्षा को देखते हुए सच को छिपाया गया।
यदि ये मान भी लिया जाए कि ऐसे सच को छिपाना भी एक सैन्य रणनीति है तो फिर इनकी रिहाई
को भी हमेशा के लिए छिपाकर ही क्यों नहीं रखा गया? जब कोई सैनिक ग़ायब नहीं था तो रिहाई कैसे
सवाल तो बनता हैं कि भारतीय सेना के बार बार बदलते बयानों के पीछे कहीं कोई ‘छद्म राष्ट्रवादी’
तो हावी नहीं हैं लगता हैं यह सब मोदी सरकार के इशारे पर ही किया जा रहा हैं।